जाने Orange juice फैक्ट्री में कैसे बनता है पूरी proses

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 दोस्तो आज की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास इतना समय नहीं है कि वह नेचर के करीब जाकर अपना जीवन जी सके। इसी वजह से आज के समय में बढ़ते शहरीकरण के कारण कई नेचुरल चीजों को भी फैक्ट्री में बनाया जाने लगा है जिसका सबसे बड़ा एग्जांपल है। फ्रूटस या फल अब आप कहेंगे कि फलो को कैसे फैक्ट्री में बनाया जा सकता है। तो दोस्तों हम फलो को नहीं फलो से निकलने वाले जूस बात कर रहे हैं। जिन्हें आज बड़ी मात्रा में फैक्ट्री में बनाया जा रहा है। इन्ही फ़्रूट जुसेसे में से Orange जूस का कंजक्शन बहुत अधिक मात्रा में होता है। वैसे अक्सर डिब्बे या बोत्तल में बंद ऑरेंज जूस को देखकर मन मे सवाल तो आता ही है, यह कैसे बनाया जाता है और यह कैसे इतने दिनों तक फ्रेश रहते हैं। तो दोस्तों आज के इस Post में हम आपको यही बताने वाले है कि Orange जूस फैक्ट्री में कैसे बनता है। बता दे कि फैक्ट्री में orange jus बनाने के लिए Step by step proses follow किया जाता है। जैसे की क्लीनिंग और छटाई जूस निकालना, छानना, चैप्टराइजेशन, डिकॉजिग, होमोजेनाइजेशन, पेकेजिंग और ठंडा करना, इन सारी प्रोसेस के बाद ही ऑरेंज जूस  सेलक पर पैकेज फ़ूड ड्रिंक तोर पर हमें प्रोवाइड होता है। जानकारी के लिए बता दें कि आगीको चीन में एक मीन जूस मशीन भी बरकरार है। आपको या ऑरेंज जूस की पूरी प्रोडक्शन लाइन मिल जाएगी। आइये आप जानते ऑरेंज जूस बनाने की प्रोसेस को और बेहतर तरीके से ताकि आप समझ सकेंगे जो जूस आपके हाथ में डिब्बे में पहुंचते हैं उन्हें बनाने में किन-किन चीजों का इस्तेमाल होता है? 

Orange juice  कैसे बनता है ?

सबसे पहले तो संतरे के बगीचे पके हुए और अच्छे संतरे तोड़कर फैक्ट्री में लाए जाते हैं। इसके लिए सबसे पहले उन चुनिंदा फॉर्म की लिस्ट बनाई जाती है। जहां से मिलने वाले संतरे में जूस ज्यादा हो। इसका भी एक पूरा प्रोसेस होता है। एक क्वालिटी टी किसानों के संतरो पर लगातार नजर बनाए रखती है। इसके बाद इन संतरो को चुनकर ही आगे की प्रोसेस के लिए भेजा जाता है। अब सभी ऑरेंज जूस को ट्रकों में भरकर फैक्ट्री में भेजा जाता है। उसके बाद होती है संतरो की सफाई और छटाई। दरसअल जूस से इम्प्योरिटी को दूर रखने के लिए सबसे पहले संतरो को फैक्ट्री में अच्छी तरह से धोया जाता है और फैक्टरी में बड़े बड़े फ़्रूट, वॉशिंग मशीन और बबल वॉशिंग मशीन लगे होते हैं जिसमें ब्रश  से हुए संतरो पर वाटर स्प्रे होता रहता है। उसके बाद संतरो को कन्वेयर बेल्ट की मदद से बड़े-बड़े ड्रायर्स में लाया जाता है। जहां बड़े-बड़े पंखे लगे होते जो गीले संतरो को सुखाते हैं। संतरो को सुखाने के बाद कन्वेयर बेल्ट सिसकते हुए संतरो में खराब और कच्चे संतरो को हाथ से छाट कर निकाल दिया जाता है। ताकि खराब संतरे और कच्चे संतरो के कारण जूस और उसके टेस्ट पर असर न हो और जूस खराब ना हो। अगर ये कच्चे संतरे नहीं हटाए जाएं। तो ये जूस के Ph स्केल को भी बदल देते हैं। जिसके कारण पूरा प्रोसेस थोड़ा जटिल हो जाता है। साथ ही जूस के स्वाद में भी इसका असर पड़ता है। अब पारी आती है साफ और दुले हुए संतरो से जूस निकलने की जसके लिए सारे फ्रेश संतरो को एक कन्टेनर में डाला जाता है। वैसे क्या आप जानते है कि खटे फॉलो के छिलके में Naringin and Limonene जैसे एलिमेंट होते जो गर्म  करने के बाद खुल जाते हैं। और जूस को कड़वा कर देते हैं, इसलिए जूस निकालने से पहले संतरे का छिलका अलग कर दिया जाता है। फैक्ट्री में संतरे के छिलकों को निकालने के लिए भी मशीन का यूज किया जाता है। इस मशीन से पाल पर छिलका अलग हो जाता है और संतरो के बीज को भी अलग निकाल दिया जाता है जिसके बाद पल्ब को प्रेस करके जूस निकाल लिया जाता है। और उसे कंटेनर में इकट्ठा कर लिया जाता है। अब क्योंकि फैक्ट्री में काफी बड़े पैमाने पर जूस बनता है। ऐसे में कुछ भी harmful exrest न आ जाये  इसके लिए जूस को छान लिया जाता है ताकि किसी भी कारण जूस के टेस्ट पर उसका बुरा असर न पड़े। अब प्रोपर जूस कंटेनर में इकट्ठा होने के बाद बारी आती है। उसके Chapterization की क्योंकि कुछ रो जूस का टेस्ट अच्छा नहीं होता है। मतलब मिठास गम और कैसेला पन ज्यादा होता है। जो आमतौर पर जूस में चीनी ओर एसिड की रेशियो को adjust करने के लिए फ़ूड एडिटिव डाले जाते है। लेकिन बहुत ज्यादा एडिटिव भी संतरे के असली टेस्ट को गयाब कर सकते है। और जूस में एसिड की तुलना में शुगर 13 से 15 गुना ज्यादा होती है। Degassing  और Drigassing ऑरेंज जूस की प्रोसेसिंग के दौरान फ़्रूट के सेल में पाई जाने वाली एंप्लाइज गैस भी जूस में मिल जाती है। और पार्टीकल से जुड़ जाती है तो उस समय जूस मैंडेटरी रूप से एयर के कोंटेक्ट में आता है। और ऑरेंज जूस में जो ऑक्सीजन जो ऑलरेडी रहता है ओ vatamin C के लिए distrectiv होता है और स्वाद और रंग खराब कर देता है तो इन कारणों से हीटिंग से पहले degassing की जाती है। 

Pasteurisation*

अब जूस तो बन गया लेकिन बड़े brand के लिए उन्हें एक टॉस्क ये भी होता है कि ओ जूस लंबे समय तक प्रसर्व रहे सके। और खराब ना हो। ऐसे में pasteurisation खराब बैक्टरिया को ही खत्म नही करता है बल्कि उन एंजाइम को भी इन एक्टिव करता है जो केमिकल चेंचेस का रेजन बन सकते है, जिसके कारण जूस खराब हो सकता है। बैक्टीरिया को मारने के लिए हीटिंग सबसे अच्छा तरीका है। pasteurisation में जूस को 91 डिग्री सेंटीग्रेड 95 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच 15 से 30 सेकंड के लिए या 120 डिग्री सेल्सियस या 3 से 5 सेकंड के लिए रखा जाता है, जिससे ऑरेंज जूस बहुत लंबे टाइम तक फ्रेश रहता है। pasteurisation के बाद ऑरेंज जूस एक चार्जिंग बैरल में ट्रांसफर कर दिया जाता है और सीधे डिबो या बोतलों में भर दिया जाता है। लेकिन टेस्ट के बदल जाने को रोकने के लिए जूस को 2 मिनट के अंदर ही बैरल में रखना होता है 

                                                                        इसके साथ ही तैयार हो जाता है। वह orange jus जो अट्रैक्टिव पैकेजिंग ओर मार्केटिंग के साथ बाजार में देखने को मिलता है। अब अगर orenge जूस के फायदे की बात करें तो हाल ही में एक रिपोर्ट में दावा किया गया की ऑरेंज जूस एक तरह से मोटापा कम करने और स्किन को निखारने के लिए बहुत उपयोगी है। साथ ही इसमें vitamin C की भी अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है जो हमारे दांतो और हड्डियों के लिए फायदेमंद है। इसके अलावा इसके नुकसान को देखें तो इसके ज्यादा सेवन से वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। इसमें मौजूद  कार्बोहाइड्रेट हमारे खून में ग्लाइसेमिक इंडेक्स में लोड तो बढ़ा देता है। संतरे का ज्यादा मात्रा में सेवन आपकी पाचन क्रिया पर गीत सीधा असर डालता है। दरअसल संतरे में अधिक मात्रा में फाइबर होता है। ज्यादा फाइबर आपकी पाचन क्रिया को प्रभावित करता है। वही आर्टिफिशियल जूस में सुगर content की बहुत ज्यादा मात्रा के कारण यह सिर्फ देखने में ही नेचुरल लगता है। यहां तक कि इनका टेस्ट और कलर तक आर्टिफिशियल होता है। इस तरह के जूस पूरी तरह डायबिटीज और इस तरह की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है। तो इन्हें पीने से पहले एक बार जरूर सोचें कि वह नेचुरल जूस नहीं है जो आपकी सेहत में विटामिन C के लिए जरूरी है। इसलिए जितना हो सके ऐसे फैक्ट्री मेड जूस cold drink से खुद को बचाएं और नेशनल फ्रूट जूस को अपने खाने के hebeet में लाएं। वैसे आज अगर सिर्फ नेचुरल ऑरेंज की बात करें तो भारत में सबसे ज्यादा 80 फ़ीसदी संतरा महाराष्ट्र में उगाया जाता है। वैसे क्या रियल ऑफ बेस्ट जूस में फर्क बता सकते हैं, और आप क्या फैक्टरी मेड ऑरेंज जूस के बारे में क्या ख्याल है। यह पूरी तरह से नेचुरल है या नहीं। हमे कॉमेंट करके जरूर बताएं।

तो दोस्तो आज की इस पोस्ट में आपने जाना कि फैक्ट्री में ऑरेंज जूस कैसे बनता है, ओर निश्चित ही आपको यह पोस्ट से संतुष्टि भी मिल गयी होंगी ऑरेंज जूस को लेकर। आपको आज की पोस्ट पसंद आई हो तो पोस्ट को शेयर जरूर करें।

                                                                    ।।धन्यवाद।।

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