1947 की महगाई जानकर हैरान हो जाओगे..
आज से करीब 74 साल पहले समय था 1947 का उस समय एक ऐसा दौर भी आया था जिसके बारे में सुनोगे तो दंग रह जाओगे। आज वाली पीढ़ी तो सिर्फ सुनने मात्र से कांप उठेगी। दोस्तो अपनी आँखों पर तो विस्वास ही नही कर पाओगे की उस दौर में महगाई कितनी थी आखिर उस दौर में सोना चांदी पेट्रोल डीजल ओर अनाज उन चीजों का क्या-क्या मूल्य था भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए ओर इस दौरान अपने बहुत बदलाव देखा है आज हम टेक्नोलॉजी में जी रहे है मगर हमारे पूर्वजो ने उस दौर को कैसे जिया था। वे तो महज एक जोड़ी कपड़े सालों तक चला लिया करते थे।
आज जिस तरह रुपया मार्केट में हाहाकार मचा रहा है। दोस्तों उस समय महज पैसे ओर पानी हुआ करते थे।अगर आपका जन्म साल 2000 के बाद हुआ है तो फिर आपने तो पैसे का भी प्रयोग नहीं किया होगा। मगर उस दौर के एक पैसे से पूरे महीने का राशन आ जाया करता था। उसमे भी ना जाने कितना सामान आता था। 1947 के दौर में हमारा रुपैया और विदेशी डॉलर बराबर हुआ करती थी। यानी उस दौर में ₹1 की खरीदारी करो या फिर $1 की सामान तो बराबर ही मिलता था। मगर आज जमीन आसमान का अंतर आ गया है। आज वही डॉलर ₹75 के बराबर हो गया है। उस समय खरीदारी चीलर में ही हुआ करती थी। अगर किसी के जेब में 2 ₹3 होते थे तो फिर वह तो उस दौर का किंग हुआ करता था। और उसका रुतबा तो आज के टाटा बिरला से कम नही था। दोस्त उस दौर में पेट्रोल के दाम सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। आज किस दुनिया में पेट्रोल ₹100 के पार चला गया है जबकि 1947 के दौर में वही पेट्रोल 41 पैसे प्रति लीटर हुआ करता था या। यानी इन 75 सालों में पेट्रोल के दाम 225 गुना बढ़ गया है और डीजल तो मैं तो महज 27 पैसे प्रति लीटर ही था। हां, यह बात अलग है कि उस समय गाड़ियां सड़कों से ज्यादा लोगों के ख्वाबों में चलती थी। दोस्तों सोने का भाव सुनोगे तो आप विश्वास ही नहीं कर पाओगे। आज के दौर में 10 ग्राम सोने का दाम 50000 की आस पास है। वही सोना 1947 के दौर में ₹81.65 पैसे में मिलता था। यानी इस दौर में करीब सोना 600 गुना तक बढ़ गया है। दोस्तों आप जिस देशी घी का चूरमा बड़े चाव से खाते हो। उसमे तो पता नहीं कितनी मिलावट होगी। मगर उस दौर का घी एक दम शुद्ध हुआ करता था। और महज 75 पैसे में ही एक लेटर घी आ जाता। अब आप सोच रहे होंगे कि उस दौर में लोगों की खूब बहुत हुआ करती थी। दोस्तों ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। तब लोगों की इनकम भी बहुत कम हुआ करती थी। उस दौर में अच्छी नौकरी करने वाला भी महीने में करीब डेढ़ सौ रुपए कमा पाता था। आज के दौर में अगर कोई किराए पर कमरा लेता है तो उसे भी महीने भर का ₹5000 देने ही पड़ते हैं। मगर दोस्तो 1947 के किराये की बात ही अलग थी और किराया जाने से शुरुआत होकर 4:00 ₹5 तक जाकर थक जाया करता था जो आज जिस मुंबई में बैठना भी मुश्किल हो रहा है। उस दौर में मुंबई की आबादी करीब 16 लाख के आसपास हुआ करती थी। उस दौर में इतनी तकिनिक तो नहीं हुआ करती थी बस नॉर्मल गाड़ियां ही सड़कों पर दौड़।
1947 में हिंदुस्तान की सड़कों पर महिंद्रा एंड महिंद्रा और हिंदुस्तान मोटर्स जैसी गाड़ियों का दबदबा था। बसे सिर्फ बड़े-बड़े शहरों को जोड़ने वाली सड़कों पर ही थोड़ा करती थी और असल मे उस समय तक गांव सड़कों से जुड़े हुए नहीं थे। जहां तक कि आज भी ऐसी कई गांव है जहां सड़कें नहीं जाती है। हान सड़के कहां जाती है जाना तो हमे ही पड़ता है। दोस्तो जब साल 1928 का चल रहा था। उस दौर में अमेरिकी कंपनी जनरल मोटर्स का भारत में आगमन हुआ था। उस दौर में जनरल मोटर कंपनी का ट्रक भारत मे खूब चला करते थे, लेकिन आजादी के बाद 1948 में भारत सरकार ने जनरल मोटर्स की छुट्टी कर दी थी। असल मे ये हमारी स्वदेशी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा और हिंदुस्तान मोटर को कड़ी टक्कर दे रही थी और ऐसे में सरकार को नुकसान भी खूब उठाना पड़ता था। दोस्त दोस्त दौर में विक्टोरिया नाम की टुक टुक सवारी बड़ी फेमस हुआ करती थी। जब ये 2 किलोमीटर का सफर करती थी तो करीब 1 आना किराया के रूप में लेती थी। भारत में पहली बार ट्रेन का आगमन 16 अप्रैल 1853 को मुम्बई के पोरीबन्दर से थाने के बीच चलाई गई थी। करीब 20 डिब्बे वाली की इस ट्रेन को खींचने के लिए 3 भाप के इंजन लगाई गई थे। इस ट्रेन में करीब 400 यात्रियों के साथ 35 किलोमीटर का सफर 75 मिनट में तय किया जाता था। धीरे-धीरे तकनीक में सुधार होता गया और जब अंग्रेज भारत छोड़ गई थे, अब पाकिस्तान और बांग्लादेश को मिलाकर पूरे देश की रेलवे लाईन 65185 किलोमीटर लंबी थी। दोस्तो आज रेल का किराया आसमान को छू रहा है। वही उस समय रेल का किराया 22 से लेके कुछ आने तक ही था। उस वक्त सिर्फ मुम्बई में 200 के करीब रेल दौड़ा करती थी दोस्तो अब बात करें 1947 के भारतीय विमान सेवा की। तो उस समय हमारे देश मे 10 से 15 एयरलाइन कंपनिया हुआ करती थी। इतनी ज्यादा एयरलाइन कंपनी होने के पीछे का कारण भी हैरान कर देने वाला था इसके पीछे की वजह है। 1945 का दुतीय विश्व युद्ध था। जैसे युद्ध समाप्त हुआ तो फिर अमेरिका ने अपने कई विमानों को बेचना सुरु कर दिया था बस ऐसी सेल देखकर अमीर भारतीयों ने इन्हें खरीद लिया था। भारत में फायदे का सौदा हुआ करती थी लेकिन सब लोगो के ऐसे ही विचारो से ये बजट गड़बड़ा गया था। और इस तरह कंपटीशन घाटे का सौदा बन कर रह गया था और करीब आठ एयरलाइन्स कंपनियों को भारत सरकार ने सहयोग भी दिया था। इन एयरलाइन्स कंपनियों का भारत सरकार ने राष्ट्रीयकरण कर दिया और फिर से एक नया नाम मिला था। इंडियन एयरलाइंस और टाटा एयरलाइन्स का नाम पहले ही बदलकर एयर इंडिया कर दिया था। आजादी के समय हमारे देश मे कुल 15 एयरपोट थे उस समय विमान यात्रा किराया बहुत कम था। अगर उस समय कोई व्यक्ति मुबई से हैदराबाद तक का सफर करता था तो महज इसका किराया 18 रुपये ही लगते थे। उस समय लोगो को मजदूरी के रूप में बहुत कम म्हेन्तान मिलता था। लोग इतनी कम तनखा में भी लोग अपना जीवन निर्वाह आसानी से कर लेते थे।मगर उनके मैनेजमेंट में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नही हुआ करती थी। महगाई काम होने के बावजूद भी लोगो को एसो आराम की जिंदगी नही मिलती थी।
आज हम कितने भी पैसे कमा लें, मगर हमारी ख्वाहिश पूरी नहीं होती है। दोस्तों आज हमें एक मूवी देखने के लिए कम से कम ₹500 तक खर्च करने पड़ते है।
लेकिन पुराने जमाने मे देखे तो इतने रुपयों में तो हजारों फिल्मे देख लेते। उन दिनों फिल्मो की टिकट 40 पैसो से लेके 8 आने तक ही हुआ करती थी। आजदी के दौर में 1384 सिनेमा घर ही थे हैं। पुराने जमाने में दोस्तो अधिकांस लोग धोती ओर पगड़ी ही पहेन करते थे। उस समय सभी लोग बैल गाड़ी से ही खेती करते ओर बैल गाड़ी से ही माल ढ़ोते थे। आजादी से पहले के लोगों का जीवन वास्तविकता से भरा था। आज जैसे दिखाऊ वाला जीवन नहीं था,उस समय लोगो के घर भलाई कच्चे थे मगर लोग सच्चे थे और उस दौर में ही खुशियां ढूढ़ लेते थे। लेकिन आज के लोग इतनी सुख सुविधा होने के बावजूद भी लोग खुश नजर नहीं आते हैं। बस नकली चहरे लेकर घूमते रहते है। दोस्तो ये थी हमारे पुरखों की जिंदगी। तो आज की यह पोस्ट आपको कैसा लगी?
दोस्तो इस पोस्ट में हमने हमारे पूर्वजो के बारे में एवं आजादी से पहले की महगाई के बारे में बताया है। अगर ये पोस्ट आपको पसंद आई तो अपने दोस्तों के साथ भी इससे शेयर करे।